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फतेहाबाद की डीसी मनदीप कौर के तबादले के साथ ही राजनीति शुरू हो गई है। कुछ सरपंचों के जरिए डीसी का तबादला रुकवाने की कोशिश शुरू हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ डीसी विराेधी धड़ा लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर निशाना साध रहा है। जिले के 8 गांवों के सरपंचों ने सीएम नायब सैनी को लेटर लिखकर डीसी का तबादला रोकने की मांग की है। गौरतलब है कि शनिवार को आईएएस अफसरों की आई ट्रांसफर लिस्ट में फतेहाबाद की डीसी मनदीप कौर का नाम भी था। उन्हें फतेहाबाद से ट्रांसफर करके ह्यूमन रिसोर्सेज डिपार्टमेंट का डायरेक्ट बनाया गया है। उनके स्थान पर डॉ.विवेक भारती को फतेहाबाद का नया डीसी लगाया है। हालांकि, अभी तक डॉ.भारती ने कार्यभार नहीं संभाला है। विधायक ने डीसी के खिलाफ की थी सख्त टिप्पणी भट्टू खंड के गांव रामसरा में हिसार मल्टीपर्पज चैनल ड्रेन के टूटने पर फतेहाबाद से कांग्रेस विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने डीसी को जिम्मेदार ठहराया था। दौलतपुरिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थी कि ना कोई तैयारी ना कोई मदद, वो का वो मंजर हर साल। पहले भूना अब रामसरा, अगला कौन? आपकी गलती की किस किस को कीमत चुकानी होगी उपायुक्त महोदया। विधायक ने इस पोस्ट में सीएम नायब सैनी व सीएम कार्यालय को भी टैग किया था। इसके बाद विधायक ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि फतेहाबाद को अफसरों ने सोमनाथ का मंदिर समझ रखा है। हर कोई आकर लूट जाता है। सरपंचों ने यह दिया तर्क नागपुर ब्लॉक के गांव नुरकी अहली, अजीत नगर, खुंबर, खैरपुर, मलवाला, चनकोठी और रतिया ब्लॉक के गांव अलावलवास व फतेहाबाद ब्लॉक के गांव ढाणी ढाका के सरपंचों ने सीएम को लेटर लिखा है। इस लेटर में कहा गया है कि फतेहाबाद जिले में जलभराव ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई गांव पूरी तरह जल मग्न हैं, रास्ते बंद हैं और लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं। सरपंचों ने कहा कि मौजूदा डीसी राहत कार्यों में लगातार सक्रिय हैं। वे न केवल प्रशासनिक स्तर पर काम देख रही हैं बल्कि मौके पर जाकर खुद राहत सामग्री बंटवा रही हैं। इस समय उनका ट्रांसफर होना जिले के लिए नुकसानदायक साबित होगा। साल 2023 में आई बाढ़ का दिया हवाला सरपंचों ने कहा कि साल 2023 में भी फतेहाबाद बाढ़ की चपेट में आया था। उस समय भी DC मनदीप कौर थी। उन्होंने अपनी समझदारी और तत्परता से हालात संभाले थे। बिना किसी विवाद के उन्होंने राहत कार्य पूरे किए और लोगों को तुरंत मदद पहुंचाई थी। इसी अनुभव के आधार पर सरपंचों ने कहा कि मौजूदा संकट की घड़ी में भी उन्हें यहीं बने रहना चाहिए।


