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पंजाब के फर्जी सर्टिफिकेट से हरियाणा में हासिल की नौकरी:PSEB की वेरिफिकेशन में खुलासा, संगरूर जिले का था, 1999 में जारी हुआ




पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) के जाली सर्टिफिकेट के सहारे हरियाणा में नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है। इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश उस समय हुआ, जब हरियाणा से जांच के लिए बोर्ड में भेजा गया सर्टिफिकेट जाली निकला। यह सर्टिफिकेट वर्ष 1999 का था। बोर्ड ने जिस नाम पर यह सर्टिफिकेट जारी हुआ था, उसे अपने रिकॉर्ड में ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही इस संबंध में आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को लिख दिया गया है। रिकॉर्ड में पास नहीं था यह सर्टिफिकेट पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को वूमेन एंड चाइल्ड प्रोजेक्ट ऑफिसर, नरवाना (जिला जींद, हरियाणा) से जांच के लिए भेजा गया था। यह सर्टिफिकेट रोल नंबर 806628 को जारी किया गया था और वर्ष 1999 का था। इसमें मनजीत कौर का नाम दर्ज था और इसे सरकारी हाई स्कूल, झलूर (संगरूर) से जारी दिखाया गया था। रिकॉर्ड के अनुसार रिजल्ट 222 (ह) था, जबकि इसे 422 पास दिखाया गया था। इसी आधार पर यह सर्टिफिकेट फर्जी साबित हुआ। नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों को बोर्ड अपने रिकॉर्ड में ब्लैकलिस्ट करता है और संबंधित विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देता है, ताकि इस प्रकार के लोग किसी अन्य विभाग को धोखा न दे सकें। पहले रेलवे और सेना में हासिल की थी नौकरी PSEB ने पिछले समय में अपने सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया में कई बदलाव किए हैं। अब सर्टिफिकेट पर होलोग्राम, वॉटरमार्क और उभरी हुई मोहरें होती हैं, जिनसे उनकी पहचान की जा सकती है। इसके अलावा अब क्यूआर कोड भी दिए जाते हैं। दूसरा, आधार कार्ड से लिंक किया जाता है और रोल नंबर पोर्टल पर ही जारी किए जाते हैं, ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। पंजाब पुलिस ने भी फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल करने वालों को विभिन्न विभागों की शिकायत पर गिरफ्तार किया है। इससे पहले PSEB के फर्जी सर्टिफिकेटों के सहारे पंजाब पुलिस, भारतीय सेना, रेलवे, पासपोर्ट ऑफिस और पटियाला यूनिवर्सिटी में नौकरी हासिल की जा चुकी है। हर महीने 1800 से दो हजार सर्टिफिकेट बोर्ड जांच के लिए पहुंचते है।
ऐसे चलती है वेरिफिकेशन प्रोसेस नियमों के अनुसार, जब किसी को सरकारी नौकरी मिलती है तो मौके पर ही दस्तावेजों की जांच (स्क्रूटनी) की जाती है। यदि किसी दस्तावेज़ पर संदेह होता है, या सर्टिफिकेट किसी बाहरी राज्य की यूनिवर्सिटी का होता है, तो उसे संबंधित यूनिवर्सिटी में सत्यापन के लिए भेजा जाता है। वहां से जवाब आने के बाद ही आरोपी व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा नौकरी देते समय मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। जैसे ही कोई उम्मीदवार फर्जी दस्तावेज़ों के चलते अयोग्य पाया जाता है, तो वह पद की दौड़ से बाहर हो जाता है और मेरिट लिस्ट में क्रमवार अगले योग्य अभ्यर्थी को अवसर दिया जाता है। अब तक ऐसे मामलों में कई लड़कियां भी पकड़ी जा चुकी हैं।

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