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बर्फखाना जमीन विवाद को सुप्रीम-कोर्ट में चैलेंज कराने की सिफारिश:जांच कमेटी ने परिषद आयुक्त को सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा




हरियाणा के अंबाला छावनी की बेशकीमती बर्फखाना की अरबों रुपयों की जमीन को लीज को रद करने और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की है। ये खुलासा पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नगर परिषद के आयुक्त को सौंपी रिपोर्ट में हुआ है। जांच रिपोर्ट में लीज को रद करने और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की है। 1916 से लेकर 2015 तक का इतिहास जांच रिपोर्ट में 18 अक्टूबर 1916 से लेकर अब तक का इतिहास बताया है और एक जमीन के टुकड़े की लीज 30 सितंबर 2015 को खत्म हो चुकी है। इस लीज की जमीन को वापस लेने और यह जगह प्रोजेक्ट के लिए अहम बताते हुए सिफारिश राज्य सरकार से की है। इस रिपोर्ट में जनरल लैंड रिकार्ड (जीएलआर) को भी शामिल किया है, जिसमें जमीन का मालिकाना हक सरकार का बताया और आकुपेंसी राइट कुलभूषण प्रकाश, कुलदीप प्रकाश, राजेश्वर प्रसाद के नाम हैं। आयुक्त ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को अगस्त के अंतिम सप्ताह में भेज दी है। अब अंतिम फैसला राज्य सरकार पर टिका है। इस जमीन को जीएलआर के अनुसार 2 रुपए 10 पैसे के अनुसार लीज पर दे रखा है। जमीन के खसरा नंबर और अंगला नंबरों का जिक्र किया है कि किस जमीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी है। यह है मामला बर्फखाना की जमीन दो टुकड़ों में है। जमीन का एक टुकड़ा 2.44 एकड़ ओल्ड ग्रांट का है, दूसरा 2.60 एकड़ लीज का है। इस जमीन के सात नक्शे पहले ही पास किए जा चुके हैं। जीएलआर के रिकार्ड के अनुसार इस जमीन का मालिकाना हक भारत सरकार का दर्ज है। जमीन का विवाद सामने आने के बाद नगर परिषद ने इस जमीन पर दो बोर्ड लगाए थे। एक बोर्ड बैंक रोड की ओर था, दूसरा प्रापर्टी के भीतरी साइड में लगाया था। कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला की जीएलआर में सर्वे नंबर 176 में 2.60 एकड़ जमीन बताई है। विवरण में इसे बंगला नंबर 127 बी क्लास बी-3, लैंडलॉर्ड गवर्नमेंट आफ इंडिया और होल्डर आफ आक्यूपेंसी कुलभूषण प्रकाश, कुलदीप प्रकाश और राजेश्वर प्रसाद के नाम है। यह जमीन इंडेफिनेट लीज पर है। यह जमीन 5 फरवरी 1977 को इस जमीन को नगर परिषद अंबाला सदर को सौंप दिया था, जबकि नियम व शर्तें वही रहेंगी। सर्वे नंबर 172 में 2.44 एकड़ है, जिसे 127 ए आइस फैक्ट्री व कंपाउंड के नाम से दर्ज है। इस में भी लैंड लार्ड गवर्नमेंट आफ इंडिया है, जबकि होल्डर आफ आक्यूपेंसी वहीं है। इस जमीन को ओल्ड ग्रांट के नाम से जीएलआर में दर्ज किया है। इस मामले को लेकर परिवहन मंत्री अनिल विज ने एसीएस को चिट्ठी लिखी थी, जिसके आधार पर यह जांच कर रिपोर्ट भेजी है। यह है कमेटी की सिफारिश जांच कमेटी की सिफारिश है कि 127 ए को स्पेशल लीवन पिटीशन से चैलेंज किया जाए। प्रापर्टी नंबर 127 बी का जीएलआर का किराया 2.10 रुपए सालाना है, जिसे रिकवरी किया जाए। कमेटी ने यह भी कहा है कि यह जमीन सरकार के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए ठीक है और इसकी लीज रद की जाए व नगर परिषद अपने अधीन ले, जबकि लीज चार्जिज रिकवर किए जाएं। सर्वे नंबर 177 की लीज़ 30 सितंबर 2015 को खत्म हुई है, जबकि इसमें अवैध कब्जे में है। इसे खाली करवाने के लिए कार्रवाई की जाए और जो कब्जाधारक है उसने यह खाली कराकर उनसे आक्यूपेंसी चार्ज भी लिए जाएं। नोटिस का दिया था जवाब इस मामले में एसडीएम अंबाला कैंट ने एक नोटिस जारी किया था। जिस पर संजीव लिवाहन ने निचली और हाई कोर्ट के फैसलों की प्रतिलिपि लगाते हुए अपना पक्ष रखा था। उनका कहना था कि कोर्ट के फैसले उनके पक्ष में आए हैं।

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