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बहादुरगढ़ में श्रद्धा भी पानी-पानी:छोटूराम नगर में माता का दरबार पानी के अंदर, प्रशासन सोया और आस्था ने बना दी ‘जलमग्न पूजा’ की मजबूरी




बहादुरगढ़ के वार्ड 10 के छोटूराम नगर की स्थिति इन दिनों बेहद दयनीय बनी हुई है। मुंगेशपुर ड्रेन के ओवरफ्लो होने से करीब 20 दिनों से गली-मोहल्लों में 1 से 4 फीट तक पानी जमा हुआ है। यह पानी अब पूरी तरह से सड़ चुका है और दुर्गंध उठने के कारण लोगों का घरों में रहना मुश्किल हो गया है। मच्छरों और गंदगी से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसी बीच नवरात्र का पर्व चल रहा है। धार्मिक आस्था के चलते लोगों ने माता रानी का पंडाल लगाने की तैयारी की। मगर गली में फैले गंदे पानी ने हालात ऐसे बना दिए कि लोगों को पानी के अंदर ही माता का दरबार सजाना पड़ा। वार्ड 10 छोटूराम नगर में एक दिन पहले ही माता का पंडाल लगाया गया। यहां टेबल को पानी के भीतर रखकर उस पर माता की मूर्ति स्थापित की गई। गली में भरे पानी से होकर पंडाल में पहुंचना बना मजबूरी पंडाल के आयोजक मुराली यादव ने बताया कि पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं को पानी में उतरकर ही पंडाल तक पहुंचना पड़ रहा है। घर से लेकर पंडाल तक लोग सड़े हुए पानी के बीच से गुजरकर पूजा कर रहे हैं और फिर उसी रास्ते से लौट रहे हैं। पार्षद प्रतिनिधि बोले-हालात खराब, प्रशासन का ध्यान नहीं पार्षद प्रतिनिधि हरिमोहन धाकरे का कहना है कि हालात इतने खराब हैं कि लोग मजबूरी में पानी के बीच ही धार्मिक कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को बार-बार शिकायत देने के बावजूद पानी की निकासी नहीं करवाई गई। नवरात्र जैसे बड़े धार्मिक आयोजन के समय भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था को देखते हुए पानी में टेबल रखकर माता रानी का दरबार सजाना पड़ा। पानी निकासी कर सफाई व्यवस्था बहाल करने की मांग लोगों का कहना है कि लगातार 20 दिन से भरे पानी के कारण वे परेशान हैं। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी प्रभावित हो रहे हैं। गली से निकलना मुश्किल हो गया है। पूजा के समय पानी की बदबू और अस्वच्छ माहौल से श्रद्धालुओं को भारी कठिनाई हो रही है। लोगों ने प्रशासन से तुरंत पानी की निकासी करवाने और सफाई व्यवस्था बहाल करने की मांग की है। संक्रामक बीमारियों का बढ़ रहा खतरा धाकरे का कहना है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई तो संक्रामक बीमारियों का खतरा और बढ़ जाएगा। नवरात्र जैसे पावन पर्व पर भी जब श्रद्धालु सड़े हुए पानी में पूजा करने को मजबूर हैं, तो यह प्रशासन की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।

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