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हरियाणा के अंबाला कैंट स्थित बाल भवन में संचालित एकमात्र सरकारी शेल्टर होम पिछले 15 दिनों से बंद पड़ा है। इससे जिला बाल कल्याण समिति (CWC) को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब बेसहारा और माता-पिता से बिछड़े बच्चों को 30 किलोमीटर दूर स्थित निजी संस्थाओं के शेल्टर होम में भेजना पड़ रहा है। 2 साल से नहीं मिली ग्रांट जानकारी के अनुसार, शेल्टर होम को पिछले दो वर्षों से 40 से 50 लाख रुपए की ग्रांट नहीं मिली है। फंड न मिलने के कारण यहां आवश्यक सुविधाएं बंद हो गई हैं। अब न तो बच्चों के रहने की व्यवस्था है और न ही भोजन व देखभाल का उचित इंतजाम। हर माह मिलते हैं 20 से 30 बच्चे छावनी और सिटी रेलवे स्टेशन से हर माह औसतन 20 से 30 बच्चे ऐसे मिलते हैं जो लावारिस हालात में या अपने माता-पिता से बिछड़े होते हैं।
इन बच्चों को सामान्य तौर पर जीआरपी द्वारा शेल्टर होम तक छोड़ा जाता है। लेकिन अब कैंट स्थित सरकारी शेल्टर बंद होने से यह कार्य बेहद कठिन हो गया है। बच्चों की काउंसलिंग में भी परेशानी सरकारी स्तर पर काउंसलर की कमी है। जब भी कोई बच्चा लावारिस हालत में मिलता है या घर से भागा होता है, तो उसकी काउंसलिंग जरूरी होती है। लेकिन अब यह जिम्मेदारी संस्थाओं के सहारे निभाई जा रही है। 15 दिन में 3 बच्चे मिले, भेजे गए नारायणगढ़ पिछले 15 दिनों में रेलवे स्टेशन पर 3 बच्चे मिले, जिन्हें मजबूरी में पहले सिटी की फिट फैसिलिटी में रखा गया और अगले दिन नारायणगढ़ स्थित शेल्टर होम में भेजा गया।
जिला बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन रंजीत सचदेवा ने बताया कि हमारी ओर से सीटीएम को पत्र भेजकर शेल्टर होम को फिर से शुरू करवाने की मांग की गई है। जल्द ही व्यवस्थाएं बहाल कर बच्चों को पुनः वहीं रखा जाएगा।


