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महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में इस बार बाजरे की सरकारी खरीद नहीं हो रही है। निजी खरीद एजेंसी द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से कम दाम में खरीदा जा रहा है। ऐसे में किसान बाजरे को लेकर परेशान हैं। सरकारी एजेंसी ने केवल बाजरे के सैंपल ही लिए हैं। वहीं प्राइवेट एजेंसी इसको कम दामों में खरीद रहे हैं। सरकार द्वारा बाजरे की खरीद का कार्य शुरू किया गया है। नई मंडी में बाजरे की खरीद के लिए एजेंसियां निर्धारित की गई हैं। जहां पर बाजरे की सरकारी खरीद हो रही है। मगर इस बार बारिश अधिक होने के कारण बाजरा खराब हो गया। जिसकी वजह से सरकारी खरीद एजेंसी किसानों द्वारा लाए गए बाजरे को रिजेक्ट कर रही हैं। कम दाम में खरीद रहे बाजारा गांव मंडलाना निवासी किसान कृष्ण कुमार ने बताया कि वैसे तो बाजरा की एमएसपी 2 हजार 775 रुपए प्रति क्विंटल है, मगर यहां पर जब वे बाजरा लेकर आए तो यहां पर उसके बाजरे के दाम प्राइवेट एजेंसी ने 1700 रुपए प्रति क्विंटल लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार खरीद के नाम पर ढकोसला कर रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी किसान को 2 हजार 775 रुपए नहीं मिल रहे। उन्होंने बताया कि कितना भी बढ़िया बाजरा हो, 1800 से ऊपर ले ही नहीं रहे। नहीं मिल रहा भावांतर बाजरा बेचने आई महिला किसान शशि यादव ने बताया कि किसान 5 से 6 दिन तक मंडियों में पड़ा रहता है, मगर उनकी फसल नहीं खरीदी जा रही। उन्होंने कहा कि उनको न तो कोई भावांतर मिल रहा है, और न ही कोई मुआवजा मिला। सरकार एमएसपी पर खरीद करें और भावांतर स्कीम के तहत किसानों को उसकी फसल की भरपाई करें। सरकारी एजेंसी नहीं रही खरीद नारनौल अनाज मंडी में अपना बाजार लेकर पहुंचे किसानों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार ने बाजरे को 2 हजार 775 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने की बात कही गई थी, लेकिन अब सरकारी एजेंसियां बाजार नहीं खरीद रही हैं। वहीं सरकार ने भावांतर की बात कही की जो किसान जे फार्म के द्वारा अपना बाजार बचेगा उसे भावांतर मिलेगा लेकिन प्राइवेट व्यापारी उनका बाजार 1800 से लेकर 2 हजार तक प्रति क्विंटल ही खरीद रहे हैं। मार्केट कमेटी सचिव बोलीं-भी तैयारियां पूरी हैं वहीं मार्केट कमेटी सचिव नकुल यादव का कहना है की मार्केट कमेटी द्वारा सभी तैयारियां पूरी हैं, सरकारी एजेंसी भी बाजार खरीदने के लिए पहुंच रही हैं, लेकिन जो बाजरा अब तक मंडी में आया है वह खराब होने के कारण एजेंसी द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया। जिसके चलते सरकारी खरीद नहीं हो पाई है अब तक तकरीबन 50 से 60 बाजरे की ढेरियां रिजेक्ट की गई हैं। अगर कोई बाजार सही पैमाने पर पास होता है तो उसे सरकारी एजेंसी द्वारा खरीदा जाएगा।


