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हरियाणा की मंडियों में घोटाले की इनसाइड स्टोरी:करनाल में जितना धान, पोर्टल पर उससे दोगुनी एंट्री; महेंद्रगढ़-रेवाड़ी में बिना फसल भावांतर दिया




हरियाणा की अनाज मंडियों में 2 बड़े घोटाले सामने आए हैं। महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिलों में जहां भावांतर भरपाई योजना का लाभ हड़पने के लिए कागजों में ही बाजरा खरीद दिखाई गई। वहीं, करनाल समेत कई मंडियों में फर्जी गेट पास काटकर कागजों में ही धान की आवक दिखाई। इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद CM नायब सैनी ने मंडी से जुड़े 5 अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड किया है। यह घपला हुआ कैसे? किन-किन लोगों की मिलीभगत है? गड़बड़ी का पूरा खेल चलता कैसे है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर एप टीम ने मंडी से जुड़े अधिकारियों, किसान संगठनों, किसानों और आढ़तियों से बात की। इस दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई। अभी तक जो कार्रवाई हुई है, वह सिर्फ छोटी मछलियां पकड़ने जैसी है। इसमें पूरा नेटवर्क जुड़ा है। भारतीय किसान यूनियन का तो यहां तक दावा है कि मंडियों में 5 लाख क्विंटल धान के फर्जी गेटपास कटे। इसमें 80 आढ़ती शामिल हैं। हालांकि, अभी तक किसी आढ़ती का नाम सार्वजनिक नहीं किया है। करनाल के डीसी उत्तम सिंह ने बताया कि सभी एसडीएम को आदेश दे दिए गए हैं कि अपने-अपने क्षेत्र में आने वाली राइस मिलों का फिजिकल वेरिफिकेशन करें, ताकि खरीदे गए धान के स्टॉक की वास्तविक मात्रा की जांच की जाए। वेरिफिकेशन टीम में राजस्व अधिकारी, खाद्य निरीक्षक और संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में ये दो अधिकारी सस्पेंड किए गए… ये कुल 5 अधिकारी-कर्मचारी सस्पेंड हुए
महेंद्रगढ़ जिले की कनीना मंडी के सचिव-सह-ईओ मनोज पराशर और रेवाड़ी जिले की कोसली अनाज मंडी के सचिव-सह-ईओ नरेंद्र कुमार को सस्पेंड किया गया। वहीं, करनाल जिले में मंडी सुपरवाइजर हरदीप, अश्वनी और ऑक्शन रिकॉर्डर सतबीर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया। अब समझें, बाजरे की भावांतर योजना में कैसे हुई गड़बड़ी… दक्षिण हरियाणा में बाजरे की बंपर आवक
दक्षिण हरियाणा के जिलों महेंद्रगढ़, रेवाड़ी में बाजरे की बंपर पैदावार होती है। महेंद्रगढ़ में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में बाजरे की बुआई होती है। इस बार भी बारिश से खराबे के बावजूद काफी मात्रा में बाजरा हुआ है। मार्केट कमेटी के रिकॉर्ड के मुताबिक जिले की मंडियों में 76 हजार मिट्रिक टन अधिक बाजरे की खरीद हो चुकी है, जबकि बीते वर्ष जिला में 12 लाख क्विंटल बाजरे की खरीद हुई थी। प्राइवेट एजेंसी कर रही खरीद
बारिश के कारण बाजरा खराब होने की वजह से सरकारी एजेंसियों ने खरीद से हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में प्राइवेट एजेंसियां खरीद कर रही हैं। बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2775 रुपए क्विंटल तय है, जबकि प्राइवेट एजेंसी इसे 1800 रुपए क्विंटल तक ही खरीद रही है। फर्जी J-फॉर्म बनवा प्रति एकड़ 28 हजार रुपए तक हड़पे
गांव गोद बलाहा के किसान विजय सिंह ने बताया कि अगर किसी किसान के पास 5 एकड़ जमीन है तो औसतन 40 से 50 क्विंटल बाजरा बेचने का अधिकार है। किसान मंडी में जाकर उतनी मात्रा का टोकन कटवाता है, ताकि मंडी रिकॉर्ड में उसकी बिक्री दर्ज हो सके। मगर अब असली खेल यहीं से शुरू होता है। किसान मंडी में एक दाना भी नहीं बेचता, फिर भी आढ़ती की मिलीभगत से अधिकारी या कर्मचारी 50 क्विंटल का J-फॉर्म बना लेता है। इसलिए योजना के तहत 575 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से लगभग 28,750 रुपए किसान के खाते में पहुंच जाते हैं, जबकि न मंडी में अनाज पहुंचा, न कोई खरीद हुई। यह “J-फॉर्म जाल” सिर्फ एक किसान का नहीं, बल्कि सैकड़ों किसानों के नाम पर चला। यह पूरा खेल अधिकारियों के संरक्षण में हुआ। कई लोगों की मिलीभगत
किसान इंद्रजीत ने बताया कि इस J-फॉर्म के बनने में कई लोग जिम्मेदार होते हैं। उनमें मंडी कर्मियों, अधिकारियों से आढ़ती तक शामिल होते हैं। इनके द्वारा यह पूरा घोटाला किया जाता है। हालांकि, इसके लिए एक लंबे प्रोसेस से भी गुजरना पड़ता है, मगर भ्रष्टाचार के लिए सब संभव हो जाता है। फर्जीवाड़े की सूचना पर जांच हुई
सरकार को सूचना मिलने पर जांच टीम ने कनीना अनाज मंडी में ई-खरीद पोर्टल और मार्केट कमेटी के एच रजिस्टर के आंकड़ों में अंतर पाया। मार्केट कमेटी के अधिकारी व्यापारियों से मिलीभगत कर गेट पास व J-फॉर्म काटने के 100 रुपए क्विंटल की अवैध वसूली करते थे। ताकि भावांतर भरपाई का पैसा बिना बाजरा बेचे किसानों के खाते में आ जाए। मार्केटिंग बोर्ड की जांच टीम मंडी में पहुंची तो व्यापारी भी अपने रजिस्टर लेकर इधर-उधर खिसक लिए। हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक मुकेश आहुजा ने जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर अनाज मंडी कनीना के सचिव मनोज पराशर को सस्पेंड कर पंचकूला मुख्यालय पर हाजिर देने आदेश दिए हैं। मार्केट बोर्ड की टीम ने मारी थी रेड
कनीना अनाज मंडी में मार्केट बोर्ड चंडीगढ़ की टीम ने रेड की थी। मंडी सुपरवाइजर सतीश कुमार ने बताया कि इस बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है। जबकि, नए सचिव अजीत सिंह ने बताया कि कुछ न कुछ कमियां रही होंगी। इसलिए, पहले सचिव को सस्पेंड किया गया है। अब जानिए, कैसे फर्जी गेट पास बनाकर कागजों में ही धान खरीदा कागजों में ही रिकॉर्ड तोड़ धान उत्पादन व आवक
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान के मुताबिक, कृषि विभाग ने पोर्टल पर प्रति एकड़ 35 क्विंटल धान उत्पादन डाटा फीड कर रखा है। जबकि, प्रति एकड़ उत्पादन 17 से 20 क्विंटल ही है। ऐसे में पोर्टल पर बची हुई 15-16 क्विंटल की जगह को फर्जी धान दिखाकर भर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि कई जगह बारीक धान की जगह पीआर किस्म का पोर्टल कर दिया जाता है, जिससे रिकॉर्ड में धान की आवक ज्यादा दिखाई जाती है। दूसरे प्रदेशों से सस्ते दामों पर धान खरीदा जाता है या हरियाणा के किसानों से कम रेट पर धान लिया जाता है। फिर उसे सरकारी रेट पर पोर्टल पर दिखाकर सरकार को बेच दिया जाता है। इसी कारण मंडियों में रिकॉर्ड तोड़ आवक दिखाई जा रही है। फर्जी पोर्टल और गेटपास से चलता है पूरा नेटवर्क
रतनमान ने बताया कि गेटपास कटने के लिए फर्जी आईपी एड्रेस का उपयोग होता है, ताकि सरकारी सिस्टम में पकड़े न जा सकें। सरकारी कंप्यूटरों के बजाय निजी सिस्टम से गेटपास काटे जाते हैं, जिससे पहचान मुश्किल हो जाती है। मंडियों में जब धान की बोली लगाई जाती है तो एच रजिस्टर में खरीदारों की जानकारी दर्ज होती है, लेकिन कर्मचारी इसे मौके पर भरने के बजाय मनमाने ढंग से भर देते हैं। यही वजह है कि कई बार अच्छी क्वालिटी के धान की बोली 2500 से 2600 रुपए प्रति क्विंटल तक चली जाती है, जबकि सरकारी खरीद 300 रुपए कम रेट पर होती है। कागजों में ही पैदा हो रहा धान
मंडी सूत्रों के मुताबिक, मंडियों में धान आया भी नहीं, लेकिन J-फॉर्म काट दिए गए और पेमेंट भी कर दी गई। जो किसान इस गिरोह का हिस्सा हैं, उनके खातों में पैसा पहुंच गया। सूत्रों के अनुसार, इस फर्जीवाड़े में हर लेन-देन में हिस्सा तय होता है – 70 रुपए सेक्रेटरी के, 40-50 रुपए किसान के, जबकि आढ़ती को आढ़त बच जाती है। करनाल मंडी में करीब 5 लाख क्विंटल धान के फर्जी पर्चे काटे जाने का अंदेशा है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 25 अक्टूबर तक करनाल जिले की विभिन्न मंडियों में 9 लाख 50 हजार मीट्रिक टन धान की आवक दर्ज की गई है। पहले भी हो चुका घोटाला, तब सचिव सस्पेंड हुई थीं
किसानों का कहना है कि करनाल की मंडियों में यह पहला घोटाला नहीं है। मार्केट कमेटी की मौजूदा सचिव आशा पहले भी करनाल में पद पर रही हैं और उस समय भी फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था। तब सचिव को भी सस्पेंड किया गया था। भाकियू ने तो करनाल, घरौंडा और तरावड़ी के अलावा धान बेल्ट की सभी मंडियों में जांच कराने की मांग की है।

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