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दिल्ली में गैर बीएस-6 (BS-6) श्रेणी के मालवाहक डीजल वाहनों के प्रवेश पर रोक लगते ही बहादुरगढ़ बाईपास एक बार फिर पुराने ट्रकों का अस्थायी अड्डा बन गया है। एक नवंबर से दिल्ली सरकार द्वारा जारी पाबंदी के तहत अब बीएस-6 से कम मॉडल वाले डीजल मालवाहक वाहनों को राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं है। जैसे ही आदेश लागू हुआ बहादुरगढ़ के सेक्टर-9 बाईपास, मेट्रो यार्ड के पास और सर्विस लेन के किनारे पुराने ट्रकों की कतारें लगनी शुरू हो गईं।
यह दृश्य अब हर साल इस मौसम में आम होता जा रहा है। नो-एंट्री और पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के कारण ट्रक चालक दिल्ली सीमा में प्रवेश से पहले ही अपने वाहन सड़क किनारे खड़े कर देते हैं। इनमें से कई चालक दिन में बाईपास पर ट्रक पार्क करते हैं और रात के अंधेरे में चोरी-छिपे दिल्ली में प्रवेश की कोशिश करते हैं। इससे बाईपास रोड पर ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था की स्थिति बन जाती है। बार्डरों पर 500 से ज्यादा वाहनों की जांच, पुराने वाहन कम
इस बार हालांकि पुराने ट्रकों की संख्या अपेक्षाकृत कम नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि बहादुरगढ़ और आसपास के इलाकों में चलने वाले अधिकतर मालवाहक वाहन अब बीएस-6 या सीएनजी मॉडल में परिवर्तित हो चुके हैं। वहीं कुछ बीएस-4 श्रेणी के वाहन भी देखे जा रहे हैं जिन्हें दिल्ली सरकार द्वारा 31 अक्टूबर 2026 तक अस्थायी छूट दी गई है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग और पुलिस ने सीमा क्षेत्रों पर विशेष निगरानी के लिए टीमों की तैनाती की है। बहादुरगढ़ के दो प्रमुख बॉर्डर टीकरी और झाड़ौदा बॉर्डर पर अधिकारियों ने अब तक 500 से अधिक वाहनों की जांच की है। इनमें से केवल 15–20 पुराने ट्रक या ट्रैक्टरों को ही प्रवेश से रोका गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अधिकांश वाहन बीएस-6 या वैध प्रमाणपत्र वाले हैं।
पार्किंग की व्यवस्था न होने से सड़क पर वाहन खड़ा करना मजबूरी
ट्रक चालकों का कहना है कि वे मजबूरी में बाईपास पर गाड़ियां खड़ी करते हैं क्योंकि बॉर्डर से पहले किसी प्रकार की सरकारी या निजी पार्किंग व्यवस्था नहीं है। एक चालक ने बताया कि हमारे पास पार्किंग का कोई ठिकाना नहीं है। दिल्ली में एंट्री बंद होने के कारण दिन भर यहां खड़ा रहना पड़ता है और जब मौका मिलता है तो माल खाली करने के लिए दिल्ली की ओर बढ़ते हैं।स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि ट्रकों के लंबे समय तक खड़े रहने से सड़क किनारे गंदगी, ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। वहीं वाहन चालकों के अस्थायी ठहराव से रात के समय सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भी पैदा होती हैं। सड़क हादसों की भी संभावना बढ़ गई है।


