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MBA, इंजीनियर और डेंटिस्ट दोस्तों ने थामी खेती की कमान:100 एकड़ में खेती, 12 करोड़ का टर्नओवर, फ्रेंच खीरा और फूलों की देशभर में मांग




कुछ लोग खेती को घाटे का सौदा कहकर मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन जो लोग खेती से प्यार करते हैं वो मिट्टी से जुड़कर खुद अच्छी खासी आमदनी लेने के साथ दूसरों को रोजगार भी देते हैं। ऐसी ही कहानी है पानीपत के तीन दोस्तों एमबीए पास परमिंदर जागलान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हर्ष ढुरेजा और दंत चिकित्सक डॉ. सचिन गर्ग की। इनका पिछले साल खेती से 12 करोड़ का टर्नओवर रहा। साथ ही 400 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अंसल निवासी परमिंदर जागलान बताते हैं कि उन्होंने साल 2007 में फाइनेंस मार्केटिंग से एमबीए की। प्लेसमेंट के बाद गुरुग्राम में एक ऑटो कंपनी में 6 महीने नौकरी की। यहां से नौकरी छोड़कर एक्सपोर्ट का काम देखने लगे। 2012 में ऑस्ट्रेलिया से आए दोस्त अनुज और उरलाना निवासी हर्ष के साथ अनुदान योजना के तहत किसानों के यहां पोली और नेट हाउस लगाने का काम शुरू किया। फ्रेंच खीरा और फूलों की खेती
2014 में अनुदान योजना में बदलाव होने पर यह काम छोड़ दिया। पोली और नेट हाउस लगाते समय खेती की जानकारी हो गई थी। कुछ समय बाद हर्ष के साथ मिलकर अपनी 2 एकड़ जमीन पर पोली और नेट हाउस लगाकर कलर कैप्सिकम (रंगीन शिमला मिर्च), फ्रेंच खीरा (बिना बीज वाला) और फूलों की खेती करने लगे। शुरुआत के 3 साल में परेशानी आई, लेकिन हौसले ने खेती से दूर नहीं होने दिया। जैसे-जैसे जानकारी बढ़ती गई, आमदनी और खेती का रकबा भी बढ़ाने लगे। नवंबर 2019 में हमारे साथ सेक्टर-12 निवासी डॉ. सचिन गर्ग भी जुड़ गए। अब तीनों मिलकर खेती करते हैं। तीनों किसी अन्य काम के बजाय खेती को ही पूरा समय देते हैं। 2 से 100 एकड़ तक पहुंची खेती
परमिंदर ने बताया कि पोली और नेट हाउस के जरिए 2 एकड़ से शुरुआत की थी। आज यह 100 एकड़ तक पहुंच गई है। इसराना और मतलौडा क्षेत्र में खेती करते हैं। उनकी रंगीन शिमला मिर्च की मांग दिल्ली, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर से लेकर जयपुर तक है। इसी तरह फ्रेंच खीरा दिल्ली और चंडीगढ़ जाता है। नेट हाउस में जरबेरा, मनी प्लांट समेत अन्य फूलों की प्रजाति की भी खेती करते हैं। फूलों की भी दिल्ली से लेकर अन्य बड़े-बड़े शहरों में मांग है। 400 लोगों को दे रहे रोजगार
परमिंदर बताते हैं कि उनके यहां पोली व नेट हाउस में करीब 400 श्रमिक काम करते हैं। इनमें 350 महिलाएं हैं। श्रमिकों को लेकर थोड़ी दिक्कत आती है। सरकार मनरेगा के तहत किसानों को भी श्रमिक दिलाए तो 100 के बजाय 200 दिन का रोजगार तक देने को तैयार हैं। इससे न केवल किसानों की श्रमिक संबंधित समस्या खत्म होगी, बल्कि लोगों को रोजगार भी ज्यादा मिलेगा। सूचना: आप भी किसान हैं और खेती में ऐसे नवाचार किए हैं, जो सभी किसान भाइयों के लिए उपयोगी हैं, तो डिटेल व फोटो-वीडियो हमें अपने नाम-पते के साथ 8708786373 पर सिर्फ वॉट्सएप करें। ध्यान रखें, ये नवाचार किसी भी मीडिया में न आए हों।

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