यमुनानगर के टापू कमालपुर गांव में यमुना नदी का उफनता पानी हर साल की तरह इस बार भी तबाही मचा रहा है। तेज कटाव ने पिछले दो दिनों में 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि को निगल लिया, जिसमें पोपलर और गन्ने की फसलें थीं। अब कटाव गांव की करीब दो हजार आबादी से महज 200 मीटर दूर है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हथनीकुंड बैराज से रोजाना छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी ने स्थिति को और विकराल बना दिया है। इस बीच, यमुना किनारे बन रहा एक मंदिर, जो नदी से केवल 10 मीटर दूर है, भी खतरे की जद में है। दो साल पहले बने तटबंध अनियमितताओं और कमजोर निर्माण के कारण ढह चुके हैं, जिससे कटाव और तेज हुआ है। प्रशासन मिट्टी के कट्टे और लोहे के जाल से कटाव रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ग्रामीण स्थायी समाधान जैसे मजबूत तटबंध, नदी की ड्रेजिंग, और वनरोपण की मांग कर रहे हैं। दैनिक भास्कर टीम ने गांव में जाकर ग्राउंड रियलटी जांची तो स्थिति काफी चिंताजनक थी। पढ़िए टापू कमालपुर की वर्तमान स्थिति, ग्रामीणों की चिंताओं, और प्रशासन के प्रयासों की ग्राउंड रिपोर्ट है। नदी के उफनते पानी का भयावह दृश्य दैनिक भास्कर टीम ने टापू कमालपुर गांव पहुंचते ही यमुना नदी का उफनता पानी एक भयावह दृश्य देखा। नदी का तेज बहाव मिट्टी को तेजी से काट रहा है और ग्रामीण आंखों में चिंता लिए हुए लाचार बनकर उसे सिर्फ निहार रहे हैं। गांव के किनारे पर खड़े होकर देखने पर यह स्पष्ट हो गया कि यमुना का कहर इस छोटे से गांव के लिए हर साल की तरह इस बार भी तबाही लेकर आया है। हालात इतने गंभीर हैं कि कटाव अब गांव की आबादी से महज 200 मीटर दूर रह गया है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। इस बीच, यमुना के किनारे बन रहा एक मंदिर, जो नदी से केवल 10 मीटर की दूरी पर है, भी खतरे की जद में है। यमुना का उफान और कटाव की तीव्रता टापू कमालपुर, यमुनानगर जिले का एक छोटा सा गांव है, जिसकी आबादी यमुना नदी के सबसे नजदीक बसी है। इसकी भौगोलिक स्थिति इसे हर मानसून में बाढ़ और कटाव का शिकार बनाती है। हाल ही में हथनीकुंड बैराज से 3 लाख 29 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसने कटाव को और तेज कर दिया। पिछले दो दिनों में 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि, जिसमें पोपलर और गन्ने की फसलें थीं, नदी में समा चुकी हैं। मौके पर देखा कि नदी की धार मिट्टी के बड़े-बड़े टुकड़ों को खींच रही है और गांव की ओर बढ़ता पानी अब आबादी से केवल 200 मीटर दूर है। कटाव नहीं रुका तो सब कुछ हो जाएगा खत्म ग्रामीण भानू प्रताप ने बताया कि हर साल यमुना हमारी जमीन खा जाती है। इस बार रातोंरात 10 एकड़ से ज्यादा जमीन चली गई। उसका घर अब नदी से कुछ दूरी पर ही है। अगर कटाव नहीं रुका, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। कई किसान अपनी बची-खुची फसलों को काटकर बचाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन मजबूरी में उन्हें औने-पौने दामों पर पोपलर और गन्ना बेचना पड़ रहा है। यमुना किनारे बने मंदिर पर मंडराता खतरा कटाव की इस आपदा के बीच एक और चिंताजनक तथ्य सामने आया है। यमुना के किनारे गांव में एक यमुना मंदिर का निर्माण चल रहा है, जो नदी से मात्र 10 मीटर की दूरी पर है। यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बनने की उम्मीद में बनाया जा रहा है, लेकिन नदी का तेज बहाव इसे भी खतरे में डाल रहा है। मंदिर के निर्माण में लगे मजदूरों में से एक श्याम लाल ने बताया कि हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन पानी इतना करीब आ गया है कि डर लगता है। अगर कटाव बढ़ा, तो मंदिर भी नहीं बचेगा। ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर की नींव को मजबूत करने के लिए पत्थर और कट्टे लगाए गए हैं, लेकिन यह कितना टिकेगा, इस पर संदेह है। 2023 में बुलानी पड़ी थी सेना टापू कमालपुर की यह समस्या दशकों पुरानी है। 2023 में स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि सेना को बुलाना पड़ा और कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। दो साल पहले, 10 करोड़ रुपए की लागत से 12 तटबंध बनाए गए थे, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि इनमें अनियमितताएं बरती गईं। ग्रामीण गुरबाज सिंह ने कहा कि पुराने तटबंधों की मरम्मत न होने और उनकी कम चौड़ाई के कारण वे पानी के दबाव में बह गए। ग्रामीण अंकित राणा ने बताया, तटबंधों के बीच जगह छोड़ी गई थी और पत्थरों की मोटाई भी कम थी। नतीजा यह हुआ कि वे यमुना के साथ बह गए। ग्रामीणों की दहशत और सामाजिक प्रभाव स्थानीय गृहिणी सरोज देवी ने बताया कि नदी लगातार उनके घर की ओर बढ़ रही है। ऐसे में हमारे बच्चे डर के मारे सो नहीं पाते। अगर पानी और बढ़ा, तो पूरा गांव बह जाएगा। हम सभी बेबस हैं। प्रशासन द्वारा पहले कोई प्रबंध नहीं किया गया। अब आफत आन पड़ी है तो भागे फिर रहे हैं। प्रशासन के प्रयास: अस्थायी या पर्याप्त? प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। जिला उपायुक्त (डीसी) पार्थ गुप्ता और पुलिस अधीक्षक (एसपी) कमलदीप गोयल ने हाल ही में गांव का दौरा किया। डीसी ने बताया कि 20 हजार मिट्टी के कट्टे लगाए गए हैं और जरूरत पड़ने पर और प्रबंध किए जाएंगे। एसपी ने कहा कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। लोगों को नदी किनारे जाने से रोका जा रहा है। हालांकि, ग्रामीण इन उपायों को अस्थायी मानते हैं। ग्रामीण वेद प्रकाश ने बताया कि तटबंध निर्माण में ठेकेदारों ने गुणवत्ता से समझौता किया। ग्रामीणों की मांग है कि मजबूत तटबंध, नदी की ड्रेजिंग, और वनरोपण जैसे स्थायी समाधान किए जाएं।