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भारत के हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और जम्मू राज्यों के 16 युवकों के परिजन ने केंद्र सरकार से उन्हें रूस से सुरक्षित वापस लाने की अपील की है। इन युवकों को 2024 में वैध स्टडी वीजा पर रूस भेजा गया था, लेकिन परिजनों का आरोप है कि एजेंटों ने उन्हें धोखे से युद्ध क्षेत्र में धकेल दिया है, जिससे उनकी जान को खतरा है। इन 16 युवकों में हरियाणा (हिसार, फतेहाबाद, रोहतक, जींद), पंजाब, राजस्थान और जम्मू के युवा शामिल हैं। इसमें हिसार के एक युवक की मौत भी हो चुकी है। परिजनों के अनुसार, रूस पहुंचने के बाद एजेंटों ने इन युवकों को सेना प्रशिक्षण लेने और युद्ध में तैनात होने के लिए मजबूर किया। अब अधिकांश परिवारों का अपने बच्चों से संपर्क टूट गया है। इन में हरियाणा के हिसार के सोनू (मदनहेड़ी) और अमन, फतेहाबाद के विजय सिंह और अंकित, रोहतक के संदीप, जींद के अनूप कुमार, जयपुर के मनोज सिंह शेखावत, बीकानेर के अजय कुमार, सीकर के संदीप सुंडा, डीडवाना के महावीर प्रसाद, कुचामन के सुरेंद्र दहिया, जम्मू के सचिन खजूरिया और सुमीत शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। दुखद है कि मदनहेड़ी के सोनू की मौत हो चुकी है। शिक्षा के बहाने ले गए और जबर्दस्ती सेना में भर्ती किया परिवारों का कहना है कि उनके बच्चे सैनिक नहीं, बल्कि निर्दोष छात्र हैं जो शिक्षा के लिए विदेश गए थे। उन्हें आशंका है कि इन युवकों को युद्ध में ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। परिजनों ने भारत सरकार से राजनयिक हस्तक्षेप कर सभी युवकों की सुरक्षित और शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने की मांग की है। जंतर मंतर पर धरना देंगे युवकों के परिजन इस मामले में प्रभावित परिवारों ने 3 नवंबर को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर, नई दिल्ली पर धरना देने की घोषणा की है। उन्हें इसकी अनुमति मिल चुकी है। परिजनों ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं करती, वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे।


