ADGP पूर्ण कुमार का मनीषा प्ररकरण से नाता: सुसाइड नोट का किया था खुलासा; हत्या से आत्महत्या में पलटी थी कहानी
अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एडीजीपी वाईपूर्ण कुमार मनीषा मामले भी सुखिर्यों में रहे थे।
अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एडीजीपी वाईपूर्ण कुमार मनीषा मामले भी सुखिर्यों में रहे थे।
आईजी के सुरक्षा कर्मी सुशील कुमार के खिलाफ जबरन वसूली का आरोपी लगाने वाले शराब ठेकेदार के बयानों से नया खुलासा हुआ है।
पानीपत के कोहंड रेलवे स्टेशन के पास मिले युवक के शव की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई है। पांच दिन पहले हुई इस हत्या के पीछे की वजह प्रेम संबंध निकली। बुधवार को जीआरपी ने मामले का खुलासा करते हुए मृतक के दो दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों ही दोस्त गगन की हत्या करने का प्लान एक महीनें से बना रहे थे। जीआरपी प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर मिला शव की शिनाख्त करने में काफी परेशान हुई थी। पुलिस ने कई सीसीटीवी कैमरों की मदद ली। मृतक की पहचान समालखा के न्यू दुर्गा काॅलोनी निवासी गगन पुत्र हीरालाल के रूप में हुई थी। शुरुआती जांच में गगन के सिर पर गंभीर चोट के निशान मिले थे। जांच के बाद यह साफ हुआ कि गगन की हत्या उसके ही दो दोस्त नितिन और अजय ने मिलकर की थी। प्रेम प्रसंग बना जानलेवा गगन की शादी एक साल पहले उसकी प्रेमिका से ही हुई थी। दोनों का रिश्ता कई साल पुराना था, लेकिन शादी के बाद सब कुछ बदल गया। गगन के घर पर उसका दोस्त नितिन अक्सर आता-जाता था। इसी दौरान नितिन की गगन की पत्नी से नजदीकियां बढ़ने लगीं। जब गगन को इस बात का पता चला तो दोनों के बीच विवाद होने लगा। जीआरपी प्रभारी ने बताया कि गगन नितिन और अपनी पत्नी के बीच की बढ़ती बातचीत से परेशान था और उसने इसका विरोध किया। इसके बाद नितिन ने अपने दोस्त अजय के साथ मिलकर गगन को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। ईंट और शटर हैंडल से की थी हत्या घटना के दिन नितिन और अजय ने गगन को मिलने के बहाने बुलाया। जब गगन पहुंचा तो दोनों ने पहले उस पर दुकान का शटर खोलने वाला लोहे का हैंडल और फिर ईंट से वार किए। गगन की मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के बाद दोनों ने उसके शव को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया।। जिससे मामला आत्महत्या या दुर्घटना का लगे। पांच दिन की जांच के बाद पकड़े गए आरोपी घटना के बाद जीआरपी टीम ने घटनास्थल से मिले सुरागों के आधार पर जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंची। बुधवार को दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उन्होंने हत्या की बात स्वीकार कर ली। जीआरपी प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि आरोपियों से अभी गहन पूछताछ की जा रही है। हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार बरामद कर लिए गए हैं और दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। पारिवारिक खुशियां बनीं मातम गगन की शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ था। परिवार में खुशियां थीं, लेकिन एक गलत रिश्ते ने सब कुछ तबाह कर दिया। अब घर में मातम का माहौल है। घर के लोग ये हादसा भूल नहीं पा रहे है।
हरियाणा कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने मंगलवार को अपने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित घर में निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की सर्विस रिवॉल्वर से सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
सर्राफा बाजार की एक दुकान में तीन शातिर महिलाओं ने दो सोने के कड़े चुरा लिए।
मनीषा मौत मामले से अब जल्द ही परतें खुल सकती हैं। परिजनों को सीबीआई ने इसके संकेत दिए भी हैं लेकिन मंगलवार को उनका इंतजार अधूरा रह गया।
एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में भारत में हरियाणा का चौथा स्थान है।
हरियाणा के अंबाला छावनी की बेशकीमती बर्फखाना की अरबों रुपयों की जमीन को लीज को रद करने और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की है। ये खुलासा पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नगर परिषद के आयुक्त को सौंपी रिपोर्ट में हुआ है। जांच रिपोर्ट में लीज को रद करने और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की है। 1916 से लेकर 2015 तक का इतिहास जांच रिपोर्ट में 18 अक्टूबर 1916 से लेकर अब तक का इतिहास बताया है और एक जमीन के टुकड़े की लीज 30 सितंबर 2015 को खत्म हो चुकी है। इस लीज की जमीन को वापस लेने और यह जगह प्रोजेक्ट के लिए अहम बताते हुए सिफारिश राज्य सरकार से की है। इस रिपोर्ट में जनरल लैंड रिकार्ड (जीएलआर) को भी शामिल किया है, जिसमें जमीन का मालिकाना हक सरकार का बताया और आकुपेंसी राइट कुलभूषण प्रकाश, कुलदीप प्रकाश, राजेश्वर प्रसाद के नाम हैं। आयुक्त ने यह रिपोर्ट राज्य सरकार को अगस्त के अंतिम सप्ताह में भेज दी है। अब अंतिम फैसला राज्य सरकार पर टिका है। इस जमीन को जीएलआर के अनुसार 2 रुपए 10 पैसे के अनुसार लीज पर दे रखा है। जमीन के खसरा नंबर और अंगला नंबरों का जिक्र किया है कि किस जमीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी है। यह है मामला बर्फखाना की जमीन दो टुकड़ों में है। जमीन का एक टुकड़ा 2.44 एकड़ ओल्ड ग्रांट का है, दूसरा 2.60 एकड़ लीज का है। इस जमीन के सात नक्शे पहले ही पास किए जा चुके हैं। जीएलआर के रिकार्ड के अनुसार इस जमीन का मालिकाना हक भारत सरकार का दर्ज है। जमीन का विवाद सामने आने के बाद नगर परिषद ने इस जमीन पर दो बोर्ड लगाए थे। एक बोर्ड बैंक रोड की ओर था, दूसरा प्रापर्टी के भीतरी साइड में लगाया था। कैंटोनमेंट बोर्ड अंबाला की जीएलआर में सर्वे नंबर 176 में 2.60 एकड़ जमीन बताई है। विवरण में इसे बंगला नंबर 127 बी क्लास बी-3, लैंडलॉर्ड गवर्नमेंट आफ इंडिया और होल्डर आफ आक्यूपेंसी कुलभूषण प्रकाश, कुलदीप प्रकाश और राजेश्वर प्रसाद के नाम है। यह जमीन इंडेफिनेट लीज पर है। यह जमीन 5 फरवरी 1977 को इस जमीन को नगर परिषद अंबाला सदर को सौंप दिया था, जबकि नियम व शर्तें वही रहेंगी। सर्वे नंबर 172 में 2.44 एकड़ है, जिसे 127 ए आइस फैक्ट्री व कंपाउंड के नाम से दर्ज है। इस में भी लैंड लार्ड गवर्नमेंट आफ इंडिया है, जबकि होल्डर आफ आक्यूपेंसी वहीं है। इस जमीन को ओल्ड ग्रांट के नाम से जीएलआर में दर्ज किया है। इस मामले को लेकर परिवहन मंत्री अनिल विज ने एसीएस को चिट्ठी लिखी थी, जिसके आधार पर यह जांच कर रिपोर्ट भेजी है। यह है कमेटी की सिफारिश जांच कमेटी की सिफारिश है कि 127 ए को स्पेशल लीवन पिटीशन से चैलेंज किया जाए। प्रापर्टी नंबर 127 बी का जीएलआर का किराया 2.10 रुपए सालाना है, जिसे रिकवरी किया जाए। कमेटी ने यह भी कहा है कि यह जमीन सरकार के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए ठीक है और इसकी लीज रद की जाए व नगर परिषद अपने अधीन ले, जबकि लीज चार्जिज रिकवर किए जाएं। सर्वे नंबर 177 की लीज़ 30 सितंबर 2015 को खत्म हुई है, जबकि इसमें अवैध कब्जे में है। इसे खाली करवाने के लिए कार्रवाई की जाए और जो कब्जाधारक है उसने यह खाली कराकर उनसे आक्यूपेंसी चार्ज भी लिए जाएं। नोटिस का दिया था जवाब इस मामले में एसडीएम अंबाला कैंट ने एक नोटिस जारी किया था। जिस पर संजीव लिवाहन ने निचली और हाई कोर्ट के फैसलों की प्रतिलिपि लगाते हुए अपना पक्ष रखा था। उनका कहना था कि कोर्ट के फैसले उनके पक्ष में आए हैं।
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) के जाली सर्टिफिकेट के सहारे हरियाणा में नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है। इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश उस समय हुआ, जब हरियाणा से जांच के लिए बोर्ड में भेजा गया सर्टिफिकेट जाली निकला। यह सर्टिफिकेट वर्ष 1999 का था। बोर्ड ने जिस नाम पर यह सर्टिफिकेट जारी हुआ था, उसे अपने रिकॉर्ड में ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही इस संबंध में आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को लिख दिया गया है। रिकॉर्ड में पास नहीं था यह सर्टिफिकेट पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड को वूमेन एंड चाइल्ड प्रोजेक्ट ऑफिसर, नरवाना (जिला जींद, हरियाणा) से जांच के लिए भेजा गया था। यह सर्टिफिकेट रोल नंबर 806628 को जारी किया गया था और वर्ष 1999 का था। इसमें मनजीत कौर का नाम दर्ज था और इसे सरकारी हाई स्कूल, झलूर (संगरूर) से जारी दिखाया गया था। रिकॉर्ड के अनुसार रिजल्ट 222 (ह) था, जबकि इसे 422 पास दिखाया गया था। इसी आधार पर यह सर्टिफिकेट फर्जी साबित हुआ। नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों को बोर्ड अपने रिकॉर्ड में ब्लैकलिस्ट करता है और संबंधित विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर देता है, ताकि इस प्रकार के लोग किसी अन्य विभाग को धोखा न दे सकें। पहले रेलवे और सेना में हासिल की थी नौकरी PSEB ने पिछले समय में अपने सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया में कई बदलाव किए हैं। अब सर्टिफिकेट पर होलोग्राम, वॉटरमार्क और उभरी हुई मोहरें होती हैं, जिनसे उनकी पहचान की जा सकती है। इसके अलावा अब क्यूआर कोड भी दिए जाते हैं। दूसरा, आधार कार्ड से लिंक किया जाता है और रोल नंबर पोर्टल पर ही जारी किए जाते हैं, ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। पंजाब पुलिस ने भी फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी हासिल करने वालों को विभिन्न विभागों की शिकायत पर गिरफ्तार किया है। इससे पहले PSEB के फर्जी सर्टिफिकेटों के सहारे पंजाब पुलिस, भारतीय सेना, रेलवे, पासपोर्ट ऑफिस और पटियाला यूनिवर्सिटी में नौकरी हासिल की जा चुकी है। हर महीने 1800 से दो हजार सर्टिफिकेट बोर्ड जांच के लिए पहुंचते है। ऐसे चलती है वेरिफिकेशन प्रोसेस नियमों के अनुसार, जब किसी को सरकारी नौकरी मिलती है तो मौके पर ही दस्तावेजों की जांच (स्क्रूटनी) की जाती है। यदि किसी दस्तावेज़ पर संदेह होता है, या सर्टिफिकेट किसी बाहरी राज्य की यूनिवर्सिटी का होता है, तो उसे संबंधित यूनिवर्सिटी में सत्यापन के लिए भेजा जाता है। वहां से जवाब आने के बाद ही आरोपी व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा नौकरी देते समय मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। जैसे ही कोई उम्मीदवार फर्जी दस्तावेज़ों के चलते अयोग्य पाया जाता है, तो वह पद की दौड़ से बाहर हो जाता है और मेरिट लिस्ट में क्रमवार अगले योग्य अभ्यर्थी को अवसर दिया जाता है। अब तक ऐसे मामलों में कई लड़कियां भी पकड़ी जा चुकी हैं।
हरियाणा पुलिस की साइबर शाखा ने एक बड़े साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए करनाल में कोटक महिंद्रा बैंक की एक शाखा में खोले गए फर्जी करंट खाते का खुलासा किया है।